प्रशासन पर अमानवीय व्यवहार के आरोप, आंदोलन को मिला राजनीतिक बल

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में चल रहे छात्र आंदोलन को शुक्रवार को उस समय नई दिशा मिली, जब जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के युवा प्रदेशाध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला धरनास्थल पर पहुंचे और छात्राओं के समर्थन में मुखर हुए।
दिग्विजय चौटाला ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्राओं को हॉस्टल से जबरन बाहर निकालना उनका अधिकार छीनने जैसा है। उन्होंने कहा, “हॉस्टल में रहना छात्राओं का मौलिक अधिकार है और इसे कोई प्रशासनिक तंत्र नहीं रोक सकता।”
इसके बाद वे स्वयं छात्राओं के साथ हॉस्टल गेट तक पहुंचे और प्रशासन को चुनौती दी – “अब देखता हूं कौन इन छात्राओं को हॉस्टल में जाने से रोकता है।” चौटाला की उपस्थिति और छात्राओं की एकजुटता देखकर प्रशासनिक अधिकारी पीछे हट गए और हॉस्टल का गेट खोलना पड़ा। सभी छात्राएं शांतिपूर्वक अपने-अपने हॉस्टल में लौट गईं।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
एचएयू में यह आंदोलन बीते 18 दिनों से जारी है। छात्रों की प्रमुख मांगों में फेल घोषित किए गए परीक्षार्थियों की पुनः जांच, छात्रावास की सुविधाओं की बहाली, पारदर्शी प्रशासनिक कार्यप्रणाली और कुलपति की भूमिका को लेकर स्पष्टता शामिल है।
हाल ही में सरकार व छात्र प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई, जिसमें कई मांगों पर सहमति बनी, परंतु लिखित आदेश न मिलने तक छात्रों ने आंदोलन समाप्त करने से इनकार कर दिया है।
बढ़ता राजनीतिक दबाव
दिग्विजय चौटाला की मौजूदगी ने आंदोलन को राजनीतिक समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि छात्राओं को न्याय नहीं मिला तो वे यह मुद्दा विधानसभा तक उठाएंगे।
भविष्य की रणनीति
छात्रों ने प्रशासन को 1 जुलाई तक की समयसीमा दी है। यदि तब तक उनकी मांगों को लेकर औपचारिक आदेश जारी नहीं हुए, तो 2 जुलाई से विश्वविद्यालय के सभी गेट बंद कर आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।