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आखिर कैसे होती है आर्टिफिशियल बारिश? जानें- कितना आएगा खर्च?

 
Artificial Rain : 

Artificial Rain : इस समय दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कुछ इलाकों में बारिश से थोड़ी राहत मिली है, लेकिन समस्या से निपटने के लिए अभी भी इंतजाम किए जा रहे हैं.

राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार कृत्रिम बारिश का सहारा ले सकती है। इसे क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है. 8 नवंबर को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश पर आईआईटी कानपुर की एक टीम से बातचीत की है.

हालाँकि कृत्रिम बारिश के लिए बादलों की छाया बनी रहनी चाहिए। अगर 20 या 21 नवंबर को बादल छाए रहे तो दिल्ली में कृत्रिम बारिश की उम्मीद की जा सकती है. यह राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) स्तर को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। आइए आपको बताते हैं कि कृत्रिम बारिश कैसे काम करती है और इसकी लागत कितनी होगी?

कृत्रिम बारिश कैसे होती है?

पर्यावरण में बदलाव के लिए कृत्रिम बारिश की जाती है और इस दौरान बादलों में कुछ रसायन मिलाए जाते हैं जिससे बारिश होती है। क्लाउड सीडिंग में हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर के माध्यम से बादलों में सिल्वर आयोडाइड या पोटेशियम आयोडाइड जैसे सामान्य पदार्थों का छिड़काव करना शामिल है।

ये पदार्थ नाभिक बनाते हैं जिसके चारों ओर पानी की बूंदें बनती हैं। फिर पानी की बूंदें बनने की यही प्रक्रिया जारी रहती है और क्लाउड सीडिंग के दौरान कृत्रिम बारिश कराई जाती है। आम तौर पर इस प्रक्रिया को पूरा होने में डेढ़ घंटे का समय लगता है, लेकिन सफलता मौसम की विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करती है। नमी से भरे बादल और हवा का सही पैटर्न इसकी सफलता में अहम भूमिका निभाते हैं।

कृत्रिम वर्षा के लाभ

दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसके कई अन्य फायदे भी हैं। यदि कोई क्षेत्र सूखे या वर्षा की समस्या से जूझ रहा है तो कृत्रिम वर्षा का उपयोग किया जा सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है जो कृषि, पर्यावरण और जल संसाधन प्रबंधन जैसे विशेष कार्यों के लिए मौसम के पैटर्न को बदल देती है।

इसका कितना मूल्य होगा?

दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल तेजी से कम कर रही है और इसके लिए आईआईटी कानपुर के साथ बैठक की जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि कृत्रिम बारिश पर कितना पैसा खर्च होगा? मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए दिल्ली सरकार को कृत्रिम बारिश पर करीब 13 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं.