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हरियाणा के कैथल में किसानों को बड़ा झटका, माइनर टूटने से 70 एकड़ गेहूं की फसल पानी में डूबी

 
Irrigation Department

हरियाणा के कैथल जिले में किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया और वो भी सच में! पिंजुपुरा के पास कलायत माइनर (Minor) टूटने से करीब 70 एकड़ गेहूं की फसल पानी में डूब गई। बेचारे किसानों की मेहनत तो मिट्टी में मिली ही ऊपर से प्रशासन की लापरवाही ने आग में घी डालने का काम कर दिया। सूचना मिलने के बावजूद सिंचाई विभाग का कोई अफसर मौके पर नहीं पहुंचा जिससे किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।

खेतों में स्विमिंग पूल बना

किसानों का कहना है कि खेतों में घुटनों तक पानी जमा हो गया है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि गेहूं की फसल के खेत (Fields) एक रात में स्विमिंग पूल में बदल जाएंगे। किसानों ने रात में ही माइनर टूटने की खबर सुनी और भागे-भागे खेतों की ओर निकले। वहां पहुंचकर देखा तो नज़ारा ही अलग था—जहां हरे-भरे खेत होने चाहिए थे, वहां बस पानी ही पानी था!

पानी रोकने की कोशिश

बेचारे किसानों ने रातभर खुद अपने स्तर पर पानी रोकने की कोशिश की। किसी ने मिट्टी डाली, तो कोई बाल्टियों से पानी बाहर निकालने की जद्दोजहद करता रहा। लेकिन पानी की स्पीड (Speed) ऐसी थी कि किसी की एक न चली। किसानों को डर है कि अगर जल्द पानी निकाला नहीं गया, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी और उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।

किस्मत ने तो ठेका ही ले लिया

वैसे तो किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं लेतीं, लेकिन इस बार तो हालात कुछ ज्यादा ही खराब हो गए। कुछ दिन पहले ही ओलावृष्टि और बारिश (Rain) की मार झेल चुके किसान अब इस नई मुसीबत से घिर गए हैं। कहां से आएगी इतनी ताकत कि हर बार प्रकृति के सितम को सहन किया जाए?

किसानों का कहना है कि सिंचाई विभाग और प्रशासन को इस मामले की गंभीरता समझनी चाहिए। पानी जल्दी निकाला नहीं गया तो फसल का बचना मुश्किल है। किसान मुआवजे (Compensation) की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन अब तक गहरी नींद में है।

मुआवजे की मांग

किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि नुकसान का सही आकलन करके उचित मुआवजा दिया जाए। खेती वैसे ही महंगी हो गई है, और ऊपर से ये कुदरती मार और सरकारी लापरवाही (Negligence) किसानों की कमर तोड़ रही है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो किसान मजबूर होकर आंदोलन (Protest) करने पर उतारू हो सकते हैं।