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हरियाणा में अब सरकारी दफ्तरों के नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर! किसानों के लिए जमीन रजिस्ट्री का काम हुआ आसान

 
Registry

हरियाणा सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे जमीन खरीदने-बेचने वालों की बल्ले-बल्ले हो गई है! अब रजिस्ट्री (Registry) करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल (Digital) करने का ऐलान कर दिया है जिससे अब प्रॉपर्टी आईडी (Property ID) के आधार पर ही रजिस्ट्री होगी। यानी, फाइलों के ढेर में उलझने का झंझट खत्म और काम मिनटों में होगा! इस नई सुविधा का सबसे पहले सोनीपत और करनाल जिले के लोग फायदा उठा सकेंगे।

मिनटों में निपटेगा काम

पहले जमीन की रजिस्ट्री करवाना किसी युद्ध से कम नहीं था। पहले पटवारी, फिर तहसीलदार, उसके बाद रेवेन्यू ऑफिस के चक्कर लगाते-लगाते आदमी खुद जमीन जैसा महसूस करने लगता था! महीनों लग जाते थे, और गलती हो जाए तो फिर से वही दफ्तरों के धक्के। लेकिन अब यह सब बीते जमाने की बातें होने वाली हैं। सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल कर दिया है, जिससे यह काम मिनटों में पूरा होगा।

कैसे बदलेगा जमीन रजिस्ट्री का सिस्टम?

अब जमीन की रजिस्ट्री केवल प्रॉपर्टी आईडी (Property ID) के आधार पर होगी। यानी, आपको पुराने रिकॉर्ड खंगालने की जरूरत नहीं पड़ेगी, न ही नामांतरण (Mutation) की लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह खासकर उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो जल्दी से जल्दी अपना घर खरीदने-बेचने की प्लानिंग कर रहे थे। अब ना लंबी लाइनें लगेंगी, न बिचौलियों की जेबें गरम होंगी!

शहरी और ग्रामीण इलाकों में एक जैसे होंगे नियम

अब तक शहर और गांव की जमीनों की रजिस्ट्री के लिए अलग-अलग नियम थे। इससे कई बार लोग नियमों का गलत फायदा उठाकर अवैध तरीके से रजिस्ट्री करवा लेते थे। लेकिन अब सरकार ने इन लूपहोल्स (Loopholes) को खत्म कर दिया है, जिससे गलत तरीके से रजिस्ट्री कराने वालों की दुकान बंद होने वाली है।

हर प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड होगा तैयार

सरकार सिर्फ रजिस्ट्री को आसान ही नहीं बना रही, बल्कि शहरी और ग्रामीण इलाकों की डिजिटल मैपिंग (Digital Mapping) भी कर रही है। यानी, अब हर प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा, जिससे यह आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। अगर कोई फर्जीवाड़ा करने की कोशिश करेगा तो उसकी पोल मिनटों में खुल जाएगी!

नामांतरण की झंझट से मिलेगी मुक्ति

अब तक अगर कोई व्यक्ति जमीन खरीदता था तो उसे नामांतरण (Mutation) की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। लेकिन डिजिटल मैपिंग के बाद यह झंझट भी खत्म हो जाएगा क्योंकि सभी रिकॉर्ड ऑटोमैटिक (Automatic) रेवेन्यू रिकॉर्ड से लिंक हो जाएंगे। मतलब, एक बार जमीन खरीद ली तो सब कुछ अपने आप अपडेट हो जाएगा। पुराने कागजातों की खोजबीन और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत ही नहीं होगी।

बिचौलियों की दुकान होगी बंद

जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि लोग खुद करने के बजाय दलालों (Brokers) पर निर्भर हो जाते थे। इन्हीं बिचौलियों की वजह से लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे और पारदर्शिता खत्म हो जाती थी। लेकिन अब इस डिजिटल प्रक्रिया के बाद लोग सीधे ऑनलाइन अपने दस्तावेज़ चेक कर सकते हैं और बिना किसी झंझट के खुद ही रजिस्ट्री करवा सकते हैं। अब जो लोग भैया, फाइल आगे बढ़वानी है तो... वाले जुमले सुनाकर जेब ढीली करवाते थे, उनकी अब खैर नहीं!

डिजिटल क्रांति से आएगी पारदर्शिता

सरकार का मानना है कि इस डिजिटल बदलाव (Digital Transformation) से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। चूंकि पूरा सिस्टम ऑनलाइन (Online) होगा, इसलिए कोई भी व्यक्ति कहीं से भी अपने प्रॉपर्टी रिकॉर्ड की जानकारी हासिल कर सकता है। इससे फर्जी रजिस्ट्री और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आएगी।