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फूलों की खेती करने वाले किसानों को सरकार देगी 70 प्रतिशत सब्सिडी; ऐसे करें आवेदन

 
"subsidy for marigold cultivation,

 

Times Haryana, नई दिल्ली: पारंपरिक खेती(traditional farming) की तुलना में बागवानी या फूलों की खेती किसानों (farmers)के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। अब लिली के फूलों की मांग साल भर बाजार में बनी रहती है। चाहे कोई त्योहार हो, घर की साज-सज्जा हो या शादी, कोई भी कार्यक्रम गेंद के फूलों के बिना पूरा नहीं होता। ऐसे में बांस की खेती किसानों की जिंदगी में खुशबू भर देगी, आइए नीचे पढ़ते है की इस योजना का लाभ कैसे उठाए 

बिहार सरकार के बागवानी विभाग के अनुसार, प्रति हेक्टेयर गेंदे की खेती की लागत लगभग 40,000 रुपये है, जिसमें सरकार किसानों को 70 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। राज्य सरकार किसानों को 28,000 रु

सब्सिडी प्रदान करेगा.

एक हेक्टेयर खेत में लगभग 40,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. विभाग किसानों को पौधे उपलब्ध कराएगा। एक किसान को अधिकतम एक हेक्टेयर भूमि के लिए अनुदान राशि दी जाएगी।

बागवानी विभाग इस वित्तीय वर्ष में अधिक उत्पादन के लिए पूसा ऑरेंज बॉल फूल की एक नई किस्म की खेती करने की योजना बना रहा है। इस किस्म के फूल 60 से 65 दिन में तैयार हो जाते हैं.

बांस के फूलों की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 20 से 25 टन तक उत्पादन कर सकते हैं. जबकि यह 60 से 65 दिन में तैयार हो जाता है. फूल को पौधे से तीन या चार बार तोड़ा जाता है। इससे आप एक बार में 3 से 4 लाख रुपये कमा सकते हैं.

गेंदा फूल की लगातार घटती मांग को देखते हुए बिहार सरकार किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत गेंदे की खेती करने वाले किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है। बिहार सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए गेंद और ग्लेडियोलस की खेती के लिए 70 फीसदी तक सब्सिडी देने का फैसला किया है.

इसका मतलब है कि किसान अपनी जेब से सिर्फ 12,000 रुपये की लागत से एक हेक्टेयर में गेंदा फूल उगा सकेंगे। ग्लेडियोलस की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर लागत 1 लाख 7 रुपये अनुमानित है, जिस पर राज्य सरकार किसानों को 75,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी.