यूपी-हरियाणा को जोड़ेगा ये नया ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे! इन 43 गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
अलीगढ़ विकास प्राधिकरण की महायोजना 2031 में इस मार्ग को प्रस्तावित किया गया है। इसके निर्माण से अलीगढ़ से आगरा, मथुरा, दिल्ली, एनसीआर, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, पलवल, गुरुग्राम और हरियाणा तक की यात्रा में आसानी होगी।

Aligarh-Palwal Greenfield Expressway : अगर आप यूपी (UP) से हरियाणा (Haryana) के बीच घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अलीगढ़ (Aligarh) से हरियाणा के पलवल (Palwal) तक एक नया ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे (Green Field Expressway) बनने जा रहा है जो सफर को न केवल छोटा बल्कि और भी मजेदार बना देगा।
टेंडर प्रक्रिया हुई शुरू
इस एक्सप्रेसवे का निर्माण जल्द ही शुरू किया जाएगा क्योंकि इसके लिए टेंडर प्रक्रिया (Tender Process) शुरू हो चुकी है। यह एक्सप्रेसवे टप्पल (Tappal) में यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) से जुड़कर पलवल में ईस्टर्न पेरिफेरल (Eastern Peripheral) के इंटरचेंज से जोड़ेगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह किस तरह से आपकी लाइफ को आसान बनाएगा। तो भाई साहब, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR), ग्रेटर नोएडा, नोएडा, पलवल और गुरुग्राम (Gurugram) जाने वालों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं होगा।
क्या होगा फायदा?
जरा सोचिए अलीगढ़ के सारसौल (Sarsol) से गाड़ी उठाइए और सिर्फ एक घंटे में यमुना एक्सप्रेसवे तक पहुंच जाइए। और हां यह एक्सप्रेसवे पूरे 32 किलोमीटर लंबा होगा। इसकी चौड़ाई फोर लेन (4-lane) होगी, मतलब गाड़ियों की कतारों की टेंशन खत्म।
जेब पर कितना भारी पड़ेगा?
अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार कितना पैसा खर्च करने वाली है तो बता दें कि इस एक्सप्रेसवे को बनाने में लगभग 2300 करोड़ रुपये लगेंगे। अब इतना पैसा खर्च हो रहा है तो समझ जाइए कि रोड की क्वालिटी (Quality) में कोई समझौता नहीं होगा।
गांव वालों के लिए क्या है खास?
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में अलीगढ़ के करीब 43 गांवों की जमीन का अधिग्रहण (Land Acquisition) किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यह सड़क अलीगढ़ के अंडला (Andla) के पास से शुरू होकर पिसावा (Pisawa) होते हुए यमुना एक्सप्रेसवे तक जाएगी। और तो और इसके बीच में हरित पट्टी (Green Belt) होगी। मतलब सफर सिर्फ तेज नहीं बल्कि हरा-भरा और सुकून भरा भी होगा।
गांव-गांव में जीपीएस से निशानदेही
अब सवाल उठता है कि जमीन कैसे अधिग्रहित की जाएगी? तो भाई इसके लिए गांवों में जीपीएस (GPS) के जरिए निशानदेही शुरू हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि किसानों से जमीन मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।