Wheat Price Hike: बिगड़ते मौसम की वजह से गेहूं के उत्पादन में आई कमी, गेहूं के भाव में कितनी तेजी आने की उम्मीद, देखें खास रिपोर्ट

Wheat price hike 2023 in india: इस वर्ष ‘गेहूं’ उत्पादन कम रहेगा, बढ़ेंगी कीमतें – मौसम के उतार-चढ़ाव, बदलाव का सबसे अधिक असर खेती-किसानी पर पड़ता है।
इस वर्ष फरवरी में तापमान का बढऩा, मार्च में बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि का होना एवं तेज हवाओं का चलना गेहूं किसानों की उम्मीद (wheat price hike in india) पर वज्रपात के समान था।
इसके पश्चात कड़ी धूप का निकलना एवं मौसम में ठंडक का एहसास तथा तापमान में पुन: गिरावट से किसान की उम्मीदों का जगना और विशेषज्ञों के अनुमानित उत्पादन आंकड़े का बदलना असमंजस की स्थिति निर्मित कर रहा है।
इससे रबी की प्रमुख फसल गेहूं का उत्पादन (wheat price hike in india) इस वर्ष कम रहने की तथा कीमतें बढऩे की संभावना बढ़ गई है।
सेल-सीजन के अलग-अपदान, बदलाव का सबसे अधिक असर खेती-किसान पर रहेगा। इस साल फरवरी में तापमान का बढ़ना, मार्च में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का होना और तेज तारों का चलना व्हीट किसानों की उम्मीद पर वज्रपात के समान था।
इसके देर तक धूप में निकलने और मौसम में ठंडक का एहसास और तापमान में फिर से गिरावट से किसानों की उम्मीदों का जगना और कई मजदूरों के प्रदर्शन के आंकड़े असमंजस की स्थिति निर्मित कर रहे हैं।
इससे रबी की बड़ी कटौती का उत्पादन इस साल कम रहने की और सेल बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
इस वर्ष 2023-24में देश में 343 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं (wheat price hike in india) बोया गया है और दूसरा अग्रिम उत्पादन रिपोर्ट के अनुसार 11.12 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है।
परन्तु फ़ोटक एवं रिपोर्ट के अनुसार तेज हवा के साथ बारिश की वजह से कहीं-कहीं वाइट के टूटे हुए या काले पड़ गए हैं। दानों के सिकुडऩे की बात भी सामने आ रही है।
केंद्र ने यह भी कहा था कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं के 8-10 प्रतिशत की फसल को नुकसान होने का अनुमान है।
मगर देर से बोआई वाले क्षेत्रों में बेहतर स्थिति की संभावना से इसकी शुरुआत हो सकती है।
मध्य प्रदेश में नए गेहूं की आवक(wheat price hike in india) मार्च में ही शुरू हो चुकी है। मगर मंडी में आ रही फसल में नमी की मात्रा अधिक है।
इस वजह से व्यापारी और बड़ी कंपनियां खरीद से परहेज कर रही हैं। व्यापारी किसानों से गेहूं खरीद (wheat price hike in india) भी रहे हैं तो एमएसपी से कम भाव दे रहे हैं।
केंद्रीय खाद्य सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा कि मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद (wheat price hike in india) के लिए गुणवत्ता मानकों में ढील दी गई है और पंजाब तथा हरियाणा में भी जल्द ही ऐसा करने पर विचार किया जाएगा।
भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियां कई राज्यों में खरीद शुरू (wheat price hike in india) कर चुकी हैं। मध्य प्रदेश में मार्च में अलग-अलग समय पर हुई ओला वृष्टि और बारिश ने प्रदेश के अधिकांश हिस्से में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया।
प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में 70,000 हेक्टेयर से अधिक रकबा बारिश और ओले की जद में आया, जिससे गेहूं, चना और सरसों की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है।
ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि देश में आगे मौसम साफ रहा और बारिश नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन 10.5 करोड़ टन (wheat price hike in india) के करीब रह सकता है।
मगर मौसम खराब रहा तो उत्पादन 10 करोड़ टन के नीचे जा सकता है। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक इस वर्ष 11.22 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है।
पिछले साल मार्च में तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और लू के कारण गेहूं का उत्पादन गिरा था। सरकारी अनुमान के अनुसार तब 10.77 करोड़ टन गेहूं हुआ था।
मगर बाजार सूत्रों का कहना है कि उत्पादन गिरकर 9.7 करोड़ टन ही रह गया था।
उत्पादन घटने और कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक रहने के कारण पिछले साल सरकारी खरीद (wheat price hike in india) भी काफी कम रही थी क्योंकि किसानों ने निजी कंपनियों और कारोबारियों को ऊंचे भाव पर गेहूं बेचना पसंद किया था।
पिछले साल सरकारी केंद्रों पर केवल 1.88 करोड़ टन गेहूं बिका था, जो 2021-22 के 4.33 करोड़ टन गेहूं की तुलना में 56.58 फीसदी कम रहा। इस साल 3.41 करोड़ टन गेहूं खरीदने का सरकार का लक्ष्य है।
खुले बाजार में गेहूं बिक्री की सरकारी घोषणा से पहले जनवरी के मध्य में भाव (wheat price hike in india) 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे।
लेकिन जनवरी के आखिरी हफ्ते में 30 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री (wheat price hike in india) के फैसले के बाद भाव घटने लगे।
फरवरी में सरकार ने 20 लाख टन गेहूं और बेचने की निर्णय लिया और इसका मूल्य (wheat price hike in india) भी घटाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया।
15 मार्च तक सरकार ने 33.77 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा है। इन सभी फैसलों का असर गेहूं की कीमतों (wheat price hike in india) पर हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी गेहूं की मौजूदा कीमतें (wheat price hike in india) पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 30 फीसदी कम हैं।
यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई जंग के कारण आपूर्ति में रुकावट आई, जिससे पिछले साल मई में गेहूं के अंतरराष्ट्रीय भाव (wheat price hike in india) बढक़र 450 डॉलर प्रति टन से ऊपर चले गए थे, जो अब 280 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं।
परिणामस्वरूप गेहूं की कीमत कई राज्यों में तो एमएसपी से नीचे यानी 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गईं, एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है।
आगे मौसम बिगड़ा रहा तो गेहूं का उत्पादन (wheat price hike in india) और गुणवत्ता दोनों घटेंगे और भाव बढ़ सकते हैं।