Haryana News: हरियाणा-पंजाब के इन गांवों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन, जमीन के मालिकों को मिलेगा 5 गुना मुआवज़ा

हरियाणा और पंजाब के लोगों के लिए जबरदस्त (breaking) ख़बर आई है। दिल्ली से अमृतसर तक दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन (bullet train) के लिए ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ज़ोरों पर है। केंद्र सरकार ने सर्वे शुरू कर दिया है और दोनों राज्यों में हाई स्पीड रेल (high-speed rail) के लिए ज़मीन अधिग्रहण का काम तेज़ी से चल रहा है।
अगर आप भी उन गांवों में ज़मीन के मालिक हैं तो आपकी लॉटरी (jackpot) लगने वाली है। सरकार ज़मीन अधिग्रहण के बदले कलेक्टर रेट से 5 गुना तक पैसा देगी। यानी जो ज़मीन पहले लाखों में बिकती थी अब उसकी कीमत करोड़ों में पहुंच सकती है!
दिल्ली से अमृतसर महज 2 घंटे में पहुंचेंगे
दिल्ली से अमृतसर की कुल दूरी 465 किलोमीटर है जिसे पार करने में इस बुलेट ट्रेन को सिर्फ़ 2 घंटे लगेंगे। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी जबकि औसत स्पीड 250 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। दिल्ली से अमृतसर के बीच यह ट्रेन 15 स्टेशनों पर रुकेगी जिनमें चंडीगढ़ भी शामिल होगा।
इतनी तेज़ स्पीड सुनकर ही दिल बल्ले बल्ले करने लगता है! पंजाबियों और हरियाणवियों के लिए ये ट्रेन रॉकेट वाली सवारी होने वाली है। अब "सांझा चूल्हा" और "सरसों का साग" खाने दिल्ली से अमृतसर जाना भी झटपट हो जाएगा!
343 गांवों की ज़मीन पर सरकार की नज़र
इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा पंजाब और दिल्ली के कुल 343 गांवों की ज़मीन अधिग्रहण की जाएगी। इसमें से सिर्फ़ पंजाब में 186 गांवों की ज़मीन ली जाएगी। इनमें से:
- मोहाली के 39 गांव
- जालंधर के 49 गांव
- लुधियाना के 37 गांव
- अमृतसर के 22 गांव
- फतेहगढ़ साहिब के 25 गांव
- कपूरथला के 12 गांव
तरनतारन और रूपनगर के 1-1 गांव
अब इतने सारे गांव इस प्रोजेक्ट में शामिल हो रहे हैं तो भाई साहब आने वाले समय में इन जगहों की कीमतें भी रॉकेट स्पीड में बढ़ेंगी!
IIMR एजेंसी कर रही किसानों से बातचीत
ज़मीन अधिग्रहण को लेकर IIMR एजेंसी किसानों के साथ लगातार मीटिंग्स (meetings) कर रही है। किसानों को उनके ज़मीन के बदले कलेक्टर रेट से 5 गुना तक अधिक पैसा देने की योजना बनाई गई है। सरकार चाहती है कि किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा फायदा मिले ताकि बिना किसी दिक्कत के यह प्रोजेक्ट जल्दी पूरा हो सके।
किसानों के लिए खुशखबरी
सरकार किसानों को 5 गुना मुआवज़ा देने का प्लान बना रही है लेकिन ज़मीनी हकीकत क्या होगी ये देखना बाकी है। कई बार सरकारी स्कीम्स पेपर पर जितनी चमकदार दिखती हैं ग्राउंड लेवल पर उतनी ही धीमी स्पीड में चलती हैं।
कुछ किसान ज़मीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वो इसे पुश्तैनी संपत्ति मानते हैं। कई लोग चाहते हैं कि सरकार सिर्फ़ पैसा ही नहीं बल्कि रोज़गार की गारंटी भी दे।
बुलेट ट्रेन कब चलेगी?
अभी सरकार सर्वे स्टेज पर है और ज़मीन अधिग्रहण का काम शुरू किया गया है। अगर सब कुछ सही चला तो 2027 तक बुलेट ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगेगी। हालांकि सरकार की डेडलाइन होती है 2027 लेकिन भाई सरकारी कामों का क्या भरोसा? कभी भी "अगले नोटिस तक स्थगित" हो सकता है!