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Haryana News: 10वीं पास बच्चों के लिए आई खुशखबरी, हरियाणा बोर्ड ने किया ये बड़ा ऐलान

 
 
हरियाणा बोर्ड ने किया ये बड़ा ऐलान

Times Haryana, चंडीगढ़: अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा नई नीति बनाई जा रही है, आपको बता दें कि शिक्षा बोर्ड आगामी बोर्ड परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित छात्रों को दूर के परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा देने के लिए नहीं भेजेगा। 10वीं और 12वीं के हैं पीड़ित दरअसल, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को पिछली परीक्षाओं के दौरान 3 से 4 आवेदन मिले हैं, जिसके बाद बोर्ड इस नई नीति पर विचार कर रहा है।

शिक्षा बोर्ड ने इतिहास बदल दिया

हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने भी अपने 54 साल पुराने इतिहास में बदलाव करते हुए इस साल आयोजित 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित छात्रों को अनुमति दे दी है।

ऐसे बच्चों को चलने में दिक्कत होती है

हरियाणा विद्याय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डाॅ. वीपी यादव ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी समस्या है, जो बच्चों को चलने-फिरने से रोकती है, उन्हें इधर से उधर जाने में भी दिक्कत होती है, इसलिए विशेष अधिकार के तहत नरवाना के बच्चों को घर से परीक्षा देने का मौका दिए जाने के बाद ही उनके परिजन इसी तरह के कुछ अन्य बच्चे भी बोर्ड पर आये।

अब इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा बोर्ड एक नई नीति पर विचार कर रहा है, जिसके तहत बीमारी से पीड़ित बच्चों को अब उनके घर के नजदीक परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी.

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या है?

बता दें कि यह मांसपेशियों से संबंधित बीमारी है, यह आनुवंशिक है या अधिग्रहित, कई प्रकार की होती है, इसकी शुरुआत बचपन से होती है और फिर धीरे-धीरे शरीर की सभी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और एक समय के बाद पूरी तरह से बेकार हो जाती हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, एक बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तो यह बीमारी पूरे शरीर पर हावी हो जाती है, यह हृदय और श्वसन प्रणाली को भी प्रभावित करती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

शिक्षा बोर्ड के पास ऐसे और भी मामले हैं

वर्तमान में, हरियाणा में 350 से अधिक बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं, मार्च महीने में शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं कक्षा की परीक्षा में, नरवाना के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित एक छात्र को घर पर परीक्षा दी गई थी। जब यह खबर मीडिया में आई तो प्रदेश भर से 3-4 और मामले हरियाणा शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में आए, जिनमें छात्र मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित थे, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अब शिक्षा बोर्ड के पास ऐसे बच्चे हैं उनके घरों में परीक्षा केंद्र की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वह नई नीति पर विचार कर रहे हैं।