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Fast Track Court: क्या है फास्ट ट्रैक कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट क्यों है खास, किस तरह के मामलों की होती है सुनवाई

 
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Times Haryana, नई दिल्ली: दोस्तों फास्ट ट्रैक कोर्ट के बारे में विस्तार से जानने से पहले आइए पहले जान लेते हैं कि फास्ट ट्रैक कोर्ट क्या है? जैसा कि नाम से पता चलता है, फास्ट का मतलब फास्ट होता है।

कोर्ट (अदालत) का मतलब कोर्ट होता है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि शीघ्र न्याय देने के लिए गठित न्यायालयों को फास्ट ट्रैक न्यायालय कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो यह तेजी से सुनवाई के लिए बनाई गई अदालत है।

इसके अलावा, सरकार ने नाबालिगों के खिलाफ बलात्कार और नाबालिगों के शोषण जैसे अपराधों पर POCSO अधिनियम के तहत शीघ्र सुनवाई और न्याय के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों या FTSCs का भी गठन किया।

आप लोगों को बता दें कि POCSO का फुल फॉर्म प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट है। इसे केंद्र सरकार ने करीब 11 साल पहले 2012 में पेश किया था।

फास्ट ट्रैक कोर्ट का उद्देश्य क्या है 

मामलों की त्वरित सुनवाई।

न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना।

अदालतों पर मुकदमेबाजी का बोझ कम करें।

लम्बित मामलों को कम करना।

प्रकरणों का निस्तारण निर्धारित समय में करें।

किस तरह के केसों की होती है सुनवाई

हममें से बहुत से लोगों के दिमाग में यह सवाल अवश्य उठता है तो आपको बता दें दोस्तों कि फास्ट ट्रैक बनाने अथवा इनका गठन किए जाने संबंधी निर्णय संबंधित राज्य सरकार (state government) द्वारा हाईकोर्ट (High court) से चर्चा/परामर्श (consultation) के बाद लिया जाता है। हाल फिलहाल में कई रेप (rape) से जुड़े मामलों में हमने इस प्रकार के फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन देखा है, ताकि मामले की तेजी से सुनवाई हो एवं अपराधियों को सजा तक पहुंचाया जा सके