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8th CPC से कर्मचारियों को करोड़ों का फायदा, जानिए सरकार की सैलरी बढ़ाने की चाल

 
8th CPC Update

8th CPC Update : सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए वेतन आयोग (Pay Commission) हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है क्योंकि इससे सीधे तौर पर उनकी सैलरी भत्तों और सुविधाओं में बदलाव होता है. अब जब मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि जनवरी 2024 में घोषणा के अनुसार 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) दिसंबर 2025 के बाद लागू किया जाएगा तो कर्मचारियों की उम्मीदें फिर से परवान चढ़ने लगी हैं. लेकिन उससे पहले एक नजर डालते हैं कि आखिर पहला वेतन आयोग (1st Pay Commission) कब बना और क्या इसके पीछे की कहानी रही.

शुरू हुआ बदलाव का सिलसिला

भारत का पहला वेतन आयोग 1946 में गठित किया गया था. इसका उद्देश्य था कि आज़ाद भारत के सरकारी कर्मचारियों को एक समान और स्थिर वेतन ढांचा (salary structure) मिले. उस समय देश की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक थी लेकिन फिर भी आयोग ने कर्मचारियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक न्यूनतम सैलरी स्ट्रक्चर की सिफारिश की. इसके बाद हर दस साल में एक नया वेतन आयोग गठित होने की परंपरा शुरू हो गई जिससे सैलरी स्ट्रक्चर समय के अनुसार अपडेट होता रहा.

अब बात करें 8th Pay Commission की तो जैसे ही जनवरी 2024 में इसका ऐलान हुआ सोशल मीडिया (Facebook X YouTube) और न्यूज़ चैनलों पर इसकी चर्चाएं तेज हो गईं. लाखों कर्मचारी गूगल पर सर्च करने लगे कि इस बार कितनी salary hike होगी क्या fitment factor बढ़ेगा और DA (Dearness Allowance) को बेसिक में मर्ज किया जाएगा या नहीं?

सरकार ने अभी तक 8वें वेतन आयोग के चेयरमैन और अन्य सदस्यों के नामों का खुलासा नहीं किया है लेकिन कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों की लिस्ट सरकार के सामने रखनी शुरू कर दी है. सबसे बड़ी मांग यही है कि इस बार fitment factor कम से कम 3.0 रखा जाए ताकि रियल इनकम में अच्छा इज़ाफा हो.

Fitment Factor: सैलरी बढ़ाने का असली फॉर्मूला

अब बात करते हैं फिटमेंट फैक्टर की जो कि हर वेतन आयोग की रीढ़ होता है. आसान भाषा में कहें तो ये एक multiplier होता है जिससे बेसिक सैलरी को गुना करके नई सैलरी तय की जाती है. ये फैक्टर महंगाई भत्ते यानी DA और देश की मौजूदा आर्थिक हालातों को देखकर फिक्स किया जाता है.

उदाहरण से समझिए:

जब 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था उस समय DA 125% था. उस पर आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया. यानी अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹10000 थी तो 125% DA यानी ₹12500 जोड़कर कुल ₹22500 हुआ. फिर 2.57 के फैक्टर से नई सैलरी ₹25700 तय की गई.

अब तक के वेतन आयोगों की फिटमेंट हिस्ट्री

5वां वेतन आयोग (1996): DA - 74% फिटमेंट फैक्टर - 1.86

6ठा वेतन आयोग (2006): DA - 115% फिटमेंट फैक्टर - 1.86 (ग्रेड पे शामिल)

7वां वेतन आयोग (2016): DA - 125% फिटमेंट फैक्टर - 2.57

इस पैटर्न से साफ है कि हर बार वेतन आयोग पहले DA को बेसिक में मर्ज करता है और फिर उस पर fitment factor लगाकर नई सैलरी निकालता है. इसलिए इस बार भी यही उम्मीद की जा रही है कि सरकार 2025 के अंत में जब नया आयोग लागू करेगी तो DA को बेसिक में मर्ज करने के बाद कम से कम 3.0 का फैक्टर तय करेगी.

क्यों हो रही है 3.0 फिटमेंट फैक्टर की मांग?

इस बार कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में महंगाई और खर्चे बहुत तेजी से बढ़े हैं जबकि सैलरी ग्रोथ सीमित रही है. खासकर कोविड के बाद की स्थिति में कर्मचारियों को कई आर्थिक झटके झेलने पड़े हैं. ऐसे में अगर fitment factor को 3.0 या उससे ऊपर रखा जाता है तो सैलरी में कम से कम 44% की बढ़ोतरी संभव हो सकती है.

वहीं जुलाई-दिसंबर 2025 के लिए DA में भी ज्यादा इजाफा होने की संभावना कम है क्योंकि मौजूदा महंगाई दर में स्थिरता है. ऐसे में कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार DA merge करके एक बड़ा फैसला ले सकती है.