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Haryana PPP: हरियाणा में फैमिली आइडी को लेकर बड़ी खुशखबरी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जारी किए सख्त निर्देश

 
Haryana PPP

Haryana PPP Update: हरियाणा सरकार की तरफ से शुरू की गई परिवार पहचान पत्र (PPP) योजना का मकसद है राज्य के हर परिवार का एक यूनिक डिजिटल आईडी कार्ड तैयार करना जिसमें परिवार के सभी सदस्यों की पूरी जानकारी हो। इस कार्ड का इस्तेमाल सरकार की तरफ से दी जाने वाली सुविधाएं और योजनाएं जैसे (Subsidy), (Pension), (Scholarship), (Ration) (Electricity Bill Waiver) व अन्य सेवाएं सही और जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए किया जाता है।

PPP के ज़रिए सरकार एक क्लिक में ये जान सकती है कि कौन-सा परिवार किन सरकारी लाभों के लिए पात्र है। हरियाणा में ये योजना काफी बड़े स्तर पर लागू की गई है और कई जरूरी सेवाओं के लिए इसे Mandatory यानी अनिवार्य भी बना दिया गया था।

कोर्ट का बड़ा फैसला

हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को PPP को लेकर बड़ा झटका देते हुए कहा है कि इसे जरूरी सेवाओं के लिए अनिवार्य बनाना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि परिवार पहचान पत्र को एक Voluntary Process के रूप में अपनाना चाहिए ताकि कोई भी नागरिक जरूरी या बुनियादी सुविधाओं से वंचित न हो।

जस्टिस महावीर सिंधु ने यह फैसला उस वक्त सुनाया जब उन्होंने सरकार की ओर से दायर विस्तृत जवाब को ध्यानपूर्वक पढ़ा और याचिकाकर्ताओं के पक्ष को सुना। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो जल्द से जल्द इस प्रक्रिया में सुधार लाए और यह सुनिश्चित करे कि PPP के बिना किसी को भी बिजली पानी स्वास्थ्य सेवाएं शिक्षा या अन्य मूलभूत सेवाओं से वंचित न किया जाए।

याचिका का पूरा मामला क्या था?

इस पूरे मुद्दे की शुरुआत हुई सौरभ और अन्य याचिकाकर्ताओं की एक अर्ज़ी से जिसमें उन्होंने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा आयोजित Common Eligibility Test (CET) में PPP से जुड़ी गड़बड़ियों की ओर कोर्ट का ध्यान खींचा।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनके आवेदन सिर्फ इसलिए रिजेक्ट कर दिए गए क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर गलत (Backward Class Certificate) अपलोड किया था। उनका कहना था कि आयोग इस जानकारी को खुद PPP डेटा से वैरिफाई कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और सीधे तौर पर आवेदन खारिज कर दिए। इससे कई युवाओं को रोजगार के मौके से हाथ धोना पड़ा।

सरकार का जवाब

हरियाणा सरकार की तरफ से कोर्ट में जवाब देते हुए कहा गया कि फिलहाल उन सेवाओं की पहचान की जा रही है जहां PPP को अनिवार्य बनाया गया है। सरकार ने ये भी कहा कि जिन सेवाओं में सरकारी फंड या सब्सिडी (Government Subsidy) शामिल है वहां PPP की जरूरत हो सकती है।

हालांकि कोर्ट ने इस पर भी साफ निर्देश दिए कि जरूरी सेवाएं – जैसे शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी और आपातकालीन सेवाएं किसी भी स्थिति में PPP की बाध्यता से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

अब क्या होंगे बदलाव?

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि 29 जनवरी तक एक स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए जिसमें यह बताया जाए कि किन-किन विभागों में PPP को अनिवार्य किया गया है और किन मामलों में इसे स्वैच्छिक किया जा सकता है।

साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि सभी विभागों के साथ समन्वय कर स्पष्ट दिशा-निर्देश (Guidelines) तैयार किए जाएं और जनता को इसकी जानकारी दी जाए। ताकि किसी भी नागरिक को PPP न होने की वजह से परेशानियों का सामना न करना पड़े।