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आईआईटी बाबा मार्कशीट - IIT Baba Marksheet

 
IIT Baba Marksheet

IIT वाले बाबा यानी अभय सिंह की शैक्षणिक यात्रा हमेशा से लोगों के लिए प्रेरणादायक रही है। हाल ही में उनकी 10वीं और 12वीं की मार्कशीट (Marksheet) सामने आई, जिसमें उनके शानदार अंकों ने सबका ध्यान खींचा। 10वीं में 93% और 12वीं में 92.4% अंकों के साथ उन्होंने यह साबित किया कि मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनकी यह सफलता आईआईटी (IIT) की राह तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि आगे चलकर उन्होंने आध्यात्मिक (Spiritual) और दार्शनिक (Philosophical) यात्रा में भी ऊंचाइयों को छुआ।

IIT तक का सफर

अभय सिंह की स्कूलिंग हमेशा से बेहतरीन रही। 10वीं में उन्होंने गणित (Mathematics), विज्ञान (Science), और सामाजिक विज्ञान (Social Science) में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे यह साफ था कि उनकी रुचि तकनीकी विषयों में थी। 12वीं में उन्होंने भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry) और गणित (Mathematics) में अच्छे अंक हासिल किए, जो उनकी इंजीनियरिंग (Engineering) में रुचि को दर्शाता है। इन अंकों और मेहनत के बलबूते उन्होंने आईआईटी-जेईई (IIT-JEE) परीक्षा में 731वीं रैंक हासिल कर IIT बॉम्बे (IIT Bombay) में एडमिशन लिया।

IIT में उनका सफर बेहद रोमांचक रहा। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) में उन्होंने बी.टेक (B.Tech) किया, जहां वे अपने तकनीकी ज्ञान को और निखारने में सफल रहे। IIT में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने महसूस किया कि उनकी सोच केवल इंजीनियरिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि वे कुछ अलग करना चाहते हैं।

36 लाख की नौकरी 

IIT से ग्रेजुएशन (Graduation) के बाद अभय सिंह ने कनाडा की एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी कर ली। वहां उनकी सैलरी (Salary) सालाना 36 लाख रुपये थी, जो किसी भी युवा इंजीनियर के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है। लेकिन तीन साल तक इस कॉरपोरेट (Corporate) दुनिया में काम करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि पैसे से ज्यादा जरूरी आंतरिक शांति (Inner Peace) और संतोष है। यही कारण रहा कि उन्होंने नौकरी छोड़कर एक अलग राह चुनने का फैसला किया।

इस फैसले ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। जहां लोग अधिक पैसे कमाने के पीछे भागते हैं, वहीं अभय ने अपने भीतर की खोज (Self-Discovery) को महत्व दिया। उनका यह निर्णय कई युवाओं को सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या सफलता केवल पैसे में ही निहित है?

नौकरी छोड़ने के बाद अभय ने डिजाइन (Design) में मास्टर्स डिग्री (Master’s Degree) हासिल की। यह उनकी रचनात्मकता (Creativity) की ओर एक नया कदम था। इस दौरान उन्होंने फोटोग्राफी (Photography) में भी गहरी रुचि दिखाई और कई शानदार तस्वीरें क्लिक कीं। उनकी यह यात्रा बताती है कि व्यक्ति को हमेशा अपने अंदर छिपी संभावनाओं को तलाशना चाहिए।

अभय सिंह के मुताबिक, तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ रचनात्मकता भी जरूरी होती है। अगर दिमाग गणितीय सोच (Analytical Thinking) रखता है, तो दिल को भी कुछ खूबसूरत बनाने की आजादी होनी चाहिए।

IIT वाले बाबा का नया रूप

डिजाइन और फोटोग्राफी के बाद अभय का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर हो गया। वे भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) और योग (Yoga) में रुचि लेने लगे। धीरे-धीरे उनका यह झुकाव इतना बढ़ा कि उन्होंने खुद को पूरी तरह इस मार्ग पर समर्पित कर दिया और ‘IIT बाबा’ के नाम से मशहूर हो गए।

उनकी आध्यात्मिक यात्रा केवल व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने का भी प्रयास किया। वे युवाओं को यह सिखाने लगे कि सफलता केवल पैसों से नहीं मापी जाती, बल्कि आंतरिक संतोष (Inner Satisfaction) और मानसिक शांति (Mental Peace) भी उतनी ही जरूरी होती है।

पैसों से बढ़कर होती है संतुष्टि

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां हर कोई ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की होड़ में लगा रहता है, वहीं अभय सिंह जैसे लोग हमें यह सिखाते हैं कि असली सफलता आत्म-संतोष में होती है। उन्होंने अपने जीवन के कई पड़ावों से गुजरते हुए यह सिद्ध कर दिया कि अगर व्यक्ति खुद को समझ ले, तो वह किसी भी दिशा में आगे बढ़ सकता है।

उनकी यह कहानी उन युवाओं के लिए एक सीख है जो अपने करियर (Career) को लेकर असमंजस में रहते हैं। क्या केवल हाई सैलरी (High Salary) ही जिंदगी का मकसद है? या फिर कुछ ऐसा करना, जो हमारे दिल को सुकून दे? अभय सिंह ने इस सवाल का जवाब अपनी जिंदगी के अनुभवों से दिया है।