RBI Monetary Policy से पहले रुपये की हालत टाइट, क्या इस बार रेपो रेट में आएगी कटौती?

RBI Monetary Policy: भाई साहब रुपया तो इस वक्त ऐसा लग रहा है जैसे रस्सी पर चल रहा हो और नीचे गहरी खाई हो। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 0.1% गिरकर 87.55 पर पहुंच गया जो कल के 87.4875 के रिकॉर्ड को भी पार कर गया। इस गिरावट का कारण अमेरिकी डॉलर की बढ़ती डिमांड है जो नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (NDF) मार्केट में पोजीशन्स की मेच्योरिटी के चलते बढ़ी है।
आरबीआई से उम्मीदें
अब सबकी निगाहें आरबीआई की 7 फरवरी को आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा पर टिकी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि पांच साल में पहली बार रेपो रेट में कटौती हो सकती है ताकि धीमी हो रही अर्थव्यवस्था को थोड़ी रफ्तार मिल सके। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में यह फैसला लिया जाएगा जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए हो सकता है।
एशियाई करेंसी में रुपया सबसे कमजोर
रुपया पिछले कुछ महीनों से दबाव में है। इसका कारण पोर्टफोलियो निवेश में कमी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों में अनिश्चितता और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। रॉयटर्स के मुताबिक इस साल अब तक रुपया लगभग 2% गिर चुका है जिससे यह एशियाई करेंसी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।
आरबीआई के प्रयास
रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर बेचे हैं। ट्रेडर्स के अनुसार इन बैंकों ने डॉलर की मजबूत बिक्री की लेकिन डॉलर की खरीदारी का दबाव भी लगातार बना हुआ है। डॉलर-रुपया रेफरेंस रेट 0.50/0.60 पैसे के प्रीमियम पर रही जो अमेरिकी करेंसी की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय
जनवरी के अंत में आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में 1.5 लाख करोड़ रुपये (17.22 अरब डॉलर) की लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों की घोषणा की थी। विश्लेषकों को उम्मीद है कि शुक्रवार को सीआरआर में और कटौती सहित अतिरिक्त कदम देखने को मिल सकते हैं।
रेपो रेट में कटौती की संभावना
22-30 जनवरी के रॉयटर्स सर्वे में 62 में से 45 उत्तरदाताओं ने अनुमान जताया कि आरबीआई 5-7 फरवरी की बैठक के बाद रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.25% कर देगा। हालांकि कुछ विश्लेषक मुद्रास्फीति के लक्ष्य से ऊपर बने रहने के कारण दरों में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद कर रहे हैं।
विकास दर और मुद्रास्फीति
भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान वित्त वर्ष में 6.4% और अगले वर्ष 6.3%-6.8% की दर से बढ़ने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की 8.2% की तेज गति से कम है। हालांकि मुद्रास्फीति लगातार आरबीआई के 4% के मध्यम अवधि के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। साथ ही रुपया कमजोर बना हुआ है भले ही आरबीआई ने डॉलर की बिकवाली के माध्यम से इसे रोकने का प्रयास किया हो।