Toll Tax: टोल वसूली के नियमों में उलझा आमजन, टैक्स के बहाने जनता की जेब काट रही सरकार

सड़कें ऐसी कि सफर करने से पहले हनुमान चालीसा पढ़नी पड़े, लेकिन टोल टैक्स (Toll Tax) ऐसा कि लगता है हाईवे नहीं, मर्सिडीज (Mercedes) में सफर कर रहे हों! सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक कह चुका है कि जब सड़कें खराब हों तो जनता टोल क्यों दे, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। हाईवे (Highway) की हालत का रोना आम आदमी रोता रहे, बस सरकार का खजाना भरता रहे।
टोल टैक्स का असली गणित
अब जरा राजस्थान के मनोहरपुर टोल प्लाजा (Manoharpur Toll Plaza) की ही बात कर लेते हैं। सितंबर 2024 में आरटीआई (RTI) से खुलासा हुआ कि 1900 करोड़ की लागत से बनी सड़क के नाम पर अब तक 8000 करोड़ की टोल टैक्स वसूली हो चुकी है!
भाई ये कौन सा इन्वेस्टमेंट प्लान (Investment Plan) है जिसमें पैसे दुगुने-तिगुने नहीं बल्कि चौगुने-पांचगुने हो जाते हैं? आम आदमी के लिए FD (Fixed Deposit) में 6% ब्याज भी बड़ी बात होती है लेकिन टोल कंपनियां (Toll Companies) सरकारी छत्रछाया में लूट का नया मॉडल (New Loot Model) तैयार कर चुकी हैं।
हाइवे की हालत खस्ता
देशभर में करीब 980 टोल प्लाजा (Toll Plaza) हैं, जिनमें सबसे ज्यादा टोल वसूली राजस्थान में हो रही है। मजे की बात यह है कि 457 टोल प्लाजा तो पिछले 5 साल में शुरू हुए जिनमें राजस्थान ने बाजी मारी और अकेले 58 नए टोल प्लाजा जोड़ लिए। यानी रोड कैसी भी हो टोल देना ही होगा का नियम यहां लागू है।
अब बात करें टोल प्लाजा (Toll Plaza) की तो यहां अव्यवस्थाओं की भरमार है। आधी लेन (Lane) बंद रहती है, फास्टैग (FASTag) होने के बावजूद कर्मचारी गाड़ी को आगे-पीछे कराते हैं और पैसे तो ऐसे कटते हैं जैसे ATM से कैश निकाल रहे हों। किसी का फास्टैग काम नहीं किया तो पीछे खड़े लोग परेशान। सरकार के नए नियमों के मुताबिक अगर आपका फास्टैग बैलेंस (Balance) कम हुआ, तो लेन-देन रिजेक्ट (Reject) हो सकता है और जुर्माना भी लग सकता है। कुल मिलाकर जनता का ही नुकसान!
फास्टैग का फास्ट लूट मॉडल
जब टोल प्लाजा पर गाड़ियों की भीड़ बढ़ी तो सरकार ने फास्टैग (FASTag) लाकर कहा – "अब सब कुछ ऑटोमैटिक (Automatic) होगा, पैसा सीधे अकाउंट (Account) से कटेगा और सफर स्मूथ (Smooth) होगा।" लेकिन असल में हुआ क्या?
फास्टैग होने के बावजूद कतारें लंबी: कई बार टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर सर्वर डाउन (Server Down) हो जाता है, जिससे ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) लग जाता है।
डबल कटौती का झोल: कई वाहन चालकों का पैसा डबल (Double) कट जाता है, लेकिन रिफंड (Refund) के लिए महीने भर घूमना पड़ता है।
ब्लैकलिस्टेड (Blacklisted) फास्टैग का झटका: अगर गलती से आपका फास्टैग ब्लैकलिस्ट हो गया, तो जुर्माना भरने के बिना टोल पार नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि अगर किसी गाड़ी को 10 सेकंड से ज्यादा इंतजार करना पड़े तो उसे टोल टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। लेकिन भाई, कितनों को छूट मिली? टोल प्लाजा वाले कोर्ट का आदेश भूल चुके हैं और जनता "सरकार तेरी माया" गाते हुए चुपचाप पैसे कटवाने के अलावा कुछ कर नहीं सकती।
नितिन गडकरी का नया प्लान
अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) कह रहे हैं कि सरकार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) से टोल वसूली लाने की सोच रही है। इस सिस्टम के जरिए आपकी गाड़ी की लोकेशन (Location) ट्रैक होगी और जितनी दूरी तय करेंगे, उतना टोल कटेगा। यह सिस्टम कब आएगा, कैसे आएगा, और आम आदमी को क्या फायदा होगा – इसका जवाब अभी हवा में है।
टोल टैक्स पर पुनर्विचार जरूरी
सड़कें बननी चाहिए, इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) का विकास होना चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन क्या आम जनता से ऐसे ही मनमाना टोल वसूला जाना चाहिए? टोल प्लाजा के नियम और व्यवस्थाएं सुधारने की जरूरत है। टोल कंपनियों की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए। "जैसी सड़क – वैसा टोल" का नियम लागू किया जाए।
अगर सरकार जनता को टोल टैक्स की वसूली में राहत नहीं देती, तो जल्द ही "टोल हटाओ, सड़क बचाओ" जैसा कोई नया आंदोलन देखने को मिल सकता है। तब सरकार को मजबूरन इस पूरे सिस्टम की समीक्षा करनी पड़ेगी। तब तक, आम आदमी टोल प्लाजा पर गाड़ी रोककर "यही है राइट टाइम, यही है राइट प्लेस" गाना गुनगुनाते हुए मजबूरी में पैसा चुकाता रहेगा।