हरियाणा में डॉक्टर दंपती ने पेश की मिसाल, दहेज की परंपरा तोड़ करी 1 रुपए में शादी

आजकल के जमाने में जब लोग शादी के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने में लगे होते हैं, वहीं हरियाणा के चरखी दादरी में एक डॉक्टर दंपती ने ऐसा कदम उठाया कि हर कोई हैरान रह गया। इन्होंने महज 1 रुपए में शादी की और दहेज की परंपरा को पूरी तरह से नकार दिया। यह कहानी न सिर्फ एक प्रेम कहानी है, बल्कि एक प्रेरणा भी है, जहां दो परिवारों ने मिलकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है।
डॉक्टर दंपती की यह अरेंज मैरिज (arranged marriage) थी, लेकिन इसने यह साबित कर दिया कि अगर सच्चाई और समझदारी हो, तो रिश्ते का मूल्य पैसों से कहीं ज्यादा होता है। आइए जानते हैं कि यह कैसे हुआ और इस शादी की पूरी कहानी क्या है।
किसान के घर से डॉक्टर की दुल्हन
चरखी दादरी के डॉ. रमेश रोहिला, जो कृषि विभाग से रिटायर्ड एसडीओ (SDO) हैं, अपने बेटे डॉ. अरुण रोहिला के लिए लड़की ढूंढ रहे थे। जब उन्हें पता चला कि भिवानी में एक किसान की बेटी संतोष है, जो हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से पीएचडी (PhD) कर चुकी है, तो उन्होंने यह रिश्ता तय करने का मन बना लिया। संतोष की शिक्षा और उसकी मेहनत ने डॉ. रमेश को इस शादी के लिए प्रेरित किया।
लेकिन जब लड़के के परिवार ने लड़की के घर रिश्ता भेजा, तो एक नया ट्विस्ट आया। लड़के के पिता, जो खुद रिटायर्ड अधिकारी थे, ने कहा कि उन्हें कोई दहेज नहीं चाहिए। लेकिन लड़की के पिता, जो एक छोटे से किसान थे, ने साफ-साफ कह दिया कि उनके पास दहेज देने के लिए पैसे नहीं हैं।
दहेज नहीं, फिर भी हो गई शादी
लड़की के पिता का कहना था कि उन्होंने अपनी बेटी को बहुत मेहनत से पढ़ाया है, और वह आर्थिक रूप से इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। पर डॉ. रमेश रोहिला के पिता ने दहेज के मुद्दे को पूरी तरह से नकारते हुए कहा, "हमको कुछ नहीं चाहिए, बस एक अच्छा रिश्ता चाहिए।" इस पर लड़की के पिता को सुकून मिला और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ अरुण को देने के लिए हां कर दी।
फिर क्या था, 1 रुपए में शादी की बात तय हो गई। यह कोई मजाक नहीं था, बल्कि एक सच्चाई थी, जहां रिश्ते की असली कीमत पर ध्यान केंद्रित किया गया। शादी में कोई दहेज की मांग नहीं थी, और न ही किसी महंगे शादियों के सामान की चर्चा। बस, एक प्यारा सा रिश्ता था जो दो परिवारों को जोड़ रहा था।
शादी के बाद एक सूटकेस और खुशी
शादी के दिन, दुल्हन अपनी शादी की चूड़ी और लाल जोड़ा पहने हुए, सिर्फ एक सूटकेस लेकर ससुराल पहुंची। यह सूटकेस उस रिश्ते और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक था, जहां पारंपरिक दहेज के बजाय केवल सच्चाई और समर्पण था।
चरखी दादरी और भिवानी के बीच इस शादी की चर्चा हर जगह हो रही थी। लोग हैरान थे कि कैसे एक ऐसे दौर में, जहां दहेज और महंगी शादियां सामान्य हो चुकी हैं, इन दोनों परिवारों ने बिना किसी पैसे के विवाह को संपन्न किया।
क्या है इस शादी का संदेश?
इस शादी ने समाज को एक अहम संदेश दिया है। यह दिखाता है कि रिश्ता पैसे से नहीं, बल्कि दोनों परिवारों की समझदारी, सच्चाई और एक-दूसरे के लिए इज्जत से बनता है। दहेज की परंपरा को नकारते हुए इन दोनों परिवारों ने यह साबित किया कि किसी भी रिश्ते में पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण वह भावना है जो दो दिलों को जोड़ती है।
आजकल के समाज में यह एक बड़ी बात है, क्योंकि कई बार हम रिश्तों को पैसों और चकाचौंध में ढूंढने लगते हैं। लेकिन इस शादी ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्चा प्यार और समझदारी, किसी भी कीमत से ज्यादा कीमती होते हैं।