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IAS Success Story: कहानी दो बहनों की, एक साथ दिया UPSC Exam और बन गईं IAS।

IAS Ankita and IAS Vaishali Jain: अंकिता की यूपीएससी जर्नी काफी लंबी है क्योंकि यह उनका चौथा अटेंप्ट था. अंकिता की तरह उनकी बहन वैशाली जैन ने भी यूपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की.
 
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UPSC Success Stories:दिल्ली की बहनें अंकिता जैन और वैशाली जैन ने सबसे पहले कोविड-19 को मात देकर यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की. दोनों को एग्जाम से ठीक पहले कोरोना हो गया था. फिर भी, सभी बाधाओं को पार करते हुए, वे सफल हुईं और कैसे! अंकिता ने थर्ड और वैशाली ने 21 रैंक हासिल की. अंकिता वुमन कैटेगरी में सेकेंड टॉपर थीं.
बड़ी बहन अंकिता को मेन्स से पहले कोरोना हो गया था. परिवार के सदस्य तनाव में थे, लेकिन अंकिता के साहस और धैर्य ने उन्हें आगे बढ़ाया. एक इंटरव्यू में, अंकिता ने कहा, "यह मानसिक और शारीरिक रूप से हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण समय था. कोविड की वजह से मेरी तैयारी का पूरा शेड्यूल गड़बड़ा गया, लेकिन मैंने खुद को मोटिवेट किया और अपनी क्षमता के अनुसार पढ़ाई की. मैंने अपना 100 फीसदी देने की कोशिश की और मैंने जो कुछ भी पढ़ा, उसे लिखा. और आखिर में सब अच्छा रहा."
अंकिता की यूपीएससी जर्नी काफी लंबी है क्योंकि यह उनका चौथा अटेंप्ट था. उनका फर्स्ट अटेंप्ट 2017 में था, जब उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था. अंकिता फिलहाल मुंबई में इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट्स सर्विस ऑफिसर के पद पर तैनात हैं. कुछ महीने पहले उनकी शादी हुई थी और उनके पति आगरा के रहने वाले अभिनव त्यागी हैं, जो महाराष्ट्र में एक आईपीएस अधिकारी भी हैं.
वैशाली का था दूसरा अटेंप्ट
अंकिता की तरह उनकी बहन वैशाली जैन ने भी यूपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की. वैशाली के मुताबिक, 'मेरी बहन की तरह मेरे भी यूपीएससी के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए. लेकिन हिम्मत बनाए रखना वास्तव में जरूरी था और मैंने वही किया. यह दूसरा अटेंप्ट था. पहली बार में, मैं प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर पायी थी.”

जब वह एम.टेक के प्रॉजेक्ट के लिए हेल्थ सेक्टर में काम कर रही थीं, तब उनके मन में आईएएस बनने का आया था. वैशाली कहती हैं, 'मुझे कुछ बेहतर और बड़ा करने का मन हुआ.' यूपीएससी के लिए खुद को कैसे तैयार किया जाए, इस पर समय-समय पर अपनी बहन और देवर से मार्गदर्शन मिला. मैंने अपनी तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं की है. मैंने केवल अपनी ताकत और कमजोरी पर ध्यान दिया. मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग और जीएस दोनों पर बराबर ध्यान दिया. जीएस के चार पेपर और मैकेनिकल के दो पेपर थे और दोनों में 250 नंबर थे. मैंने अपनी पढ़ाई को उसी हिसाब से बांटा और अपना बेस्ट दिया.'